प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना — PM Vishwakarma Yojana se Paise Kaise Kamaye

PM Vishwakarma Yojana Se Kaise Earn Kare (Skill-Based Earning)

Introduction (परिचय)

आज के समय में अनेक परम्परागत कारीगर अपनी कला और कौशल के माध्यम से कमाई करना चाहते हैं, किन्तु उनके पास उचित औज़ार, विपणन व्यवस्था तथा व्यवसाय को आगे बढ़ाने का साधन उपलब्ध नहीं होता। इसी कमी को दूर करने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना प्रारम्भ की, जिसका मुख्य उद्देश्य परम्परागत कारीगरों तथा शिल्पकारों को आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण तथा डिजिटल पहचान उपलब्ध कराकर उन्हें स्वावलम्बी और स्वरोजगार से जोड़ना है।

इस scheme के द्वारा सरकार आपको toolkit grant, training stipend, interest subvention loan, और branding/marketing support देती है। अगर आप एक skill-based artisanal काम करते हैं, चाहे वो कारपेंटर हो, लोहार का काम हो, tailoring, pottery, welding, सुनार या कोई भी traditional craft — तो आप इससे direct earning कर सकते हैं।

इस article में हम detail में जानेंगे कि PM Vishwakarma Yojana se earning kaise ki jati hai, kaise apply karna hota hai, कौन कौन eligible हैं, और कैसे सरकार के support के साथ आप अपना local या digital business बढ़ा सकते हैं।

PM Vishwakarma Yojana thumbnail jisme ek skill artisan (kaarigar) tools ke sath dikh raha hai aur text likha hai – 'PM Vishwakarma Yojana se kaise kamaaye' skill-based earning ke sandesh ke sath

PM Vishwakarma Yojana Kya Hai?

PM Vishwakarma Yojana (प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना) एक केंद्रीय सरकारी कौशल-विकास एवं स्व-रोज़गार योजना है, जिसका उद्देश्य परम्परागत कारीगरों तथा शिल्पकारों को आर्थिक तथा तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है। इस योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को टूलकिट अनुदान, डिजिटल पहचान (विश्वकर्मा आईडी), कौशल उन्नयन प्रशिक्षण तथा रियायती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है ताकि वे अपने कार्य का विस्तार कर सकें और स्थायी आय प्राप्त कर सकें।

इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह कौशल-आधारित कमाई को प्रोत्साहित करती है। अर्थात् लाभार्थी अपनी पारम्परिक कला एवं कार्य के माध्यम से ही सम्मानजनक आजीविका अर्जित कर सकता है, चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र में हो या शहरी क्षेत्र में।

इस योजना में 18 से 50 वर्ष आयु वर्ग के लगभग सभी परम्परागत व्यवसायों को सम्मिलित किया गया है तथा उन्हें लघु उद्यम (माइक्रो एंटरप्राइज) के रूप में विकसित होने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।

Yojana ka Mukhya Uddeshya (उद्देश्य)

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का प्रमुख उद्देश्य देश के पारम्परिक कारीगरों एवं शिल्पकारों को सशक्त बनाना तथा उन्हें औपचारिक आर्थिक प्रणाली (Formal Economy) से जोड़ना है। सरकार का लक्ष्य है कि इन कौशलधारी व्यक्तियों को आधुनिक साधन-सुविधाएँ उपलब्ध कराकर उनकी आय में वृद्धि की जा सके और उनकी कला को राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर पहचान मिले।

इस योजना के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं :

  • पारम्परिक हुनर और शिल्पकला का संरक्षण एवं संवर्धन
  • छोटे कारीगरों को व्यवसाय शुरू करने और बढ़ाने में सहयोग
  • स्थानीय उत्पादों को डिजिटल बाजार तक पहुँच उपलब्ध कराना
  • प्रशिक्षण के माध्यम से कार्य-कौशल और गुणवत्ता में सुधार
  • आधुनिक औजारों द्वारा उत्पादन क्षमता में वृद्धि
  • स्वरोज़गार के माध्यम से सम्मानजनक आय सुनिश्चित करना

Kaun Kaun PM Vishwakarma ke Under Eligible Hain? (कौन-कौन पात्र हैं?)

इस योजना के लिए वो लोग eligible हैं जो किसी traditional कौशल/skill का इस्तेमाल करके अपना जीवनयापन करते हैं। योजना total 18 traditional trades को cover करती है (आगे चलकर और भी बढ़ सकती हैं।)

नीचे दिए गए professions eligible हैं (पात्र हैं) :

  1. बढ़ई (Carpenter)
  2. लोहार (Blacksmith)
  3. सुनार / आभूषण निर्माता (Goldsmith/Jeweller)
  4. कुम्हार (Potter)
  5. दर्ज़ी (Tailor)
  6. मोची / चमड़ा कारीगर (Cobbler)
  7. नाई / केश शिल्पी (Barber)
  8. धोबी (Washerman)
  9. राजमिस्त्री (Mason)
  10. फूलमाला निर्माता (Garland Maker)
  11. पाषाण शिल्पकार (Stone Carver)
  12. हथौड़ा एवं औजार निर्माता
  13. नाव बनाने वाले कारीगर (Boat Maker)
  14. ताला और चाबी बनाने वाले कारीगर (Lock & Key Mechanic)
  15. खिलौना एवं हस्तशिल्प निर्माता (Toy/Handicraft Artisan)
  16. मूर्ति शिल्पकार (Sculptor)
  17. मछली जाल बनाने वाले कारीगर (Fishing Net Maker)
  18. पारम्परिक वाद्य-यंत्र निर्माता एवं मरम्मतकर्ता

ग्रामीण + शहरी दिन category के artisans eligible हैं, बस शर्त ये है कि वो self-employed हों या micro business चलाते हो।

Kaise Earn Kar Sakte Hain? (कौशल आधारित आय के स्रोत)

अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न – प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से वास्तविक कमाई किस प्रकार की जा सकती है? इस योजना की संरचना इस प्रकार तैयार की गई है कि लाभार्थी केवल "कारीगर" न रहकर एक लघु उद्यमी (Micro-Entrepreneur) के रूप में विकसित हो सके।

इस आय-पद्धति के तीन प्रमुख आधार हैं :

  1. कौशल + औज़ार = उत्पादन
  2. प्रशिक्षण + गुणवत्तापूर्ण कार्य = उच्च मूल्य
  3. स्थानीय + डिजिटल बाज़ार = निरंतर आमदनी

नीचे दिए गए 12 प्रमुख आय स्रोत ग्रामीण तथा शहरी – दोनों प्रकार के कारीगरों/शिल्पकारों पर समान रूप से लागू होते हैं :

1. स्थानीय ग्राहकों से प्राप्त ऑर्डर

प्रशिक्षण एवं प्रमाणपत्र के पश्चात् स्थानीय स्तर पर भरोसा बढ़ता है और नियमित कार्य प्राप्त होते हैं। यह दैनिक आय का सबसे स्थिर साधन है।

2. त्यौहार एवं मौसमी आय

त्यौहारों, विवाह एवं विशेष अवसरों पर उत्पादों/सेवाओं की मांग बढ़ जाती है, जिससे कम समय में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

3. उन्नत टूलकिट के माध्यम से प्रीमियम मूल्य

सरकार द्वारा उपलब्ध आधुनिक टूलकिट से कार्य की गुणवत्ता एवं फिनिशिंग बेहतर होती है, जिससे उत्पाद/सेवा का मूल्य बढ़ाया जा सकता है।

4. प्रशिक्षण के पश्चात नवीन उत्पाद श्रेणियाँ

कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के बाद कारीगर आधुनिक डिज़ाइन एवं उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकता है।

5. घरेलू (Home-Based) व्यवसाय मॉडल

बिना दुकान खोले, घर से ही ऑर्डर-आधारित उत्पादन एवं सेवा प्रदाय किया जा सकता है।

6. व्हाट्सएप एवं इंस्टाग्राम के माध्यम से ऑनलाइन बिक्री

सरकारी प्रशिक्षण में डिजिटल विपणन का आधारभूत ज्ञान प्रदान किया जाता है, जिससे कारीगर आसानी से ऑनलाइन ग्राहकों तक पहुँच सकता है।

7. ओएनडीसी/जेम (सरकारी ई-मार्केटप्लेस) पर पंजीकरण

ये मंच कारीगरों को बड़े ऑर्डर एवं सरकारी/कॉर्पोरेट खरीदारों तक पहुँच प्रदान करते हैं।

8. होटल, कैफ़े एवं सजावटी उपयोग हेतु थोक (Bulk) ऑर्डर

विशेष रूप से कुम्हार, बढ़ई एवं शिल्पकार वर्ग के लिए यह अत्यधिक लाभकारी आय स्रोत है।

9. स्थानीय व्यवसायों के साथ सहयोग

जैसे – दर्ज़ी का बुटीक के साथ, लोहार का हार्डवेयर दुकानों के साथ, या कुम्हार का नर्सरी/डेकोर स्टोर के साथ समन्वय।

10. मरम्मत एवं सेवा-आधारित आय

दैनिक सेवा-आधारित कार्यों से निरंतर नकद आय प्राप्त होती रहती है।

11. सरकारी हाट/मेले में भागीदारी

विश्वकर्मा आईडी धारकों को प्राथमिकता के आधार पर स्टॉल आवंटन मिलता है, जिससे बिक्री एवं पहचान बढ़ती है.

12. प्रशिक्षण के उपरांत शिक्षण/प्रशिक्षक के रूप में आय

अनुभव प्राप्त होने पर कारीगर अन्य लोगों को प्रशिक्षण प्रदान कर अतिरिक्त आमदनी अर्जित कर सकता है।

Step by Step Registration Process (पंजीकरण की विस्तृत प्रक्रिया)

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का पंजीकरण पूर्णतः ऑनलाइन प्रारम्भ होता है, किन्तु सत्यापन (Verification) स्थानीय स्तर पर किया जाता है। सम्पूर्ण प्रक्रिया इस प्रकार है :

Stel 1 : आधिकारिक पोर्टल पर जाएँ (Official website)

  • अपने मोबाइल/कम्प्यूटर के ब्राउज़र में pmvishwakarma.gov.in खोलें।
  • होमपेज पर उपलब्ध “Apply for PM Vishwakarma” विकल्प चुनें।

Step 2 : आधार आधारित प्रमाणीकरण (Aadhar Verification)

  • आधार से सम्बद्ध मोबाइल नंबर दर्ज करें।
  • प्राप्त OTP के माध्यम से e-KYC पूर्ण करें।

Step 3 : अभ्यर्थी का विवरण भरें (Details)

  • नाम, जन्मतिथि, पिता/पति का नाम, लिंग तथा सामाजिक श्रेणी (SC/ST/OBC/General) जैसी मूलभूत जानकारी दर्ज करें।

Step 4 : कार्य/व्यवसाय (Trade) का चयन

  • सूची में से अपना पारम्परिक व्यवसाय चुनें।
  • इसी व्यवसाय के आधार पर प्रशिक्षण एवं टूलकिट प्रदान की जाती है।

Step 5 : आवास/स्थानीय विवरण (Address Proof)

  • राज्य, ज़िला, ब्लॉक/नगर निकाय का चयन करें।
  • आवासीय पते की पुष्टि करें।

Step 6 : बैंक विवरण दर्ज करें (Bank Details)

  • बैंक का नाम, IFSC कोड तथा खाता संख्या भरें।
  • खाता लाभार्थी के नाम से मेल खाना आवश्यक है।

Step 7 : स्वप्रमाणन एवं आधार सत्यापन (Self -Declaration)

  • आवश्यक दस्तावेज़ों के स्थान पर ऑनलाइन सत्यापन किया जाता है।
  • स्वघोषणा (Self-declaration) पूरी करें।

Step 8 : स्थानीय स्तर पर सत्यापन

  • ग्राम पंचायत/नगर निकाय अथवा CSC प्रतिनिधि द्वारा यह पुष्टि की जाती है कि अभ्यर्थी वास्तव में उक्त व्यवसाय से जुड़ा है।

Step 9 : स्वीकृति एवं विश्वकर्मा पहचान-पत्र

  • आवेदन स्वीकृत होने पर अभ्यर्थी को विश्वकर्मा पहचान-पत्र (Vishwakarma ID) प्राप्त होता है।

Step 10 : प्रशिक्षण एवं टूलकिट अनुदान (Training and Toolkit)

  • प्रशिक्षण अवधि में ₹500 प्रति दिन मानदेय दिया जाता है।
  • प्रशिक्षण पूर्ण होने के पश्चात टूलकिट अनुदान (अधिकतम ₹15,000 तक) प्राप्त होता है।

इन चरणों के पश्चात अभ्यर्थी सस्ती ब्याज दर पर ऋण सुविधा एवं डिजिटल विपणन सहायता के लिए योग्य हो जाता है।


Read More :

बाल क्यों झड़ते हैं, रोकथाम और ईलाज (पूरी जानकारी हिंदी में पढ़ें)

बिना पैसे लगाए घर बैठे पैसे कमाने के तरीके (20 तरीके)

Stock Market से पैसे कैसे कमाए?

How To Reduce Stress And Anxiety Naturally (बिना किसी दवाई के)


टूलकिट अनुदान (Toolkit) और प्रशिक्षण (Training) से होने वाला लाभ

सरकारी सहयोग से बाज़ार के लिए तैयार कैसे बनें :

इस scheme का earning model तब तक powerful नहीं बनता जब तक artisan को सारे financial + training benefits का सही तरह use करना ना आ जाए। नीचे बताया गया है कि यह scheme किस stage पर क्या financial support देती है, और उससे earning पर कैसे असर पड़ता है :

सहायता का प्रकार प्रदान की जाने वाली राशि/लाभ कब प्रदान किया जाता है आय पर प्रभाव
प्रशिक्षण मानदेय ₹500 प्रति दिन प्रशिक्षण अवधि के दौरान नियमित आय के साथ कौशल उन्नयन
टूलकिट अनुदान अधिकतम ₹15,000 तक प्रशिक्षण पूर्ण होने पर बेहतर गुणवत्ता वाले कार्य से अधिक मूल्य प्राप्ति
प्रथम ऋण ₹1 लाख (रियायती ब्याज पर) पंजीकरण व प्रशिक्षण पश्चात उत्पादन क्षमता में वृद्धि
द्वितीय ऋण ₹2 लाख प्रथम ऋण समय पर चुकाने के बाद व्यवसाय विस्तार
डिजिटल विपणन सहयोग सूचीकरण/ब्रांडिंग सहायता अनुमोदन के पश्चात अधिक ग्राहकों तक पहुँच
विश्वकर्मा पहचान-पत्र सरकारी मान्यता आवेदन स्वीकृति पर विश्वसनीयता एवं प्राथमिकता से स्टॉल आवंटन

इस तरह की प्रक्रिया की वजह से आपको पहले दिन से कमाई का पूरा रास्ता मिल जाता है :

  1. Training → daily ₹500
  2. Training के बाद → toolkit free
  3. Loan के बाद → production बढ़ता है
  4. Market access → लगातार कमाई

इसका मतलब योजना सिर्फ एक subsidy योजना नहीं है, बल्कि एक complete skill-to-income pipeline है।

स्थानीय एवं डिजिटल बाज़ार में बिक्री कैसे करें (Hybrid Pricing Strategy – मिश्रित मूल्य निर्धारण रणनीति)

मिश्रित आय मॉडल का उद्देश्य यह है कि कारीगर को एक ही स्रोत पर निर्भर न रहकर स्थानीय (दैनिक) आय और डिजिटल माध्यमों से प्रीमियम आय – दोनों प्राप्त हों। इस प्रकार कारीगर/शिल्पकार को नियमित आमदनी के साथ-साथ अधिक लाभ देने वाले विशेष ऑर्डर भी मिलते हैं।

यह रणनीति दो भागों में समझी जा सकती है – (1) स्थानीय बाज़ार, और (2) डिजिटल/ऑनलाइन बाज़ार

मॉडल आय का माध्यम मूल्य का प्रकार उदाहरण
स्थानीय (ऑफलाइन) मोहल्ला, बाज़ार, गाँव/कस्बा सामान्य/दैनिक मूल्य दर्ज़ी = कपड़ों की सिलाई/मरम्मत, कुम्हार = घरेलू उपयोग के बर्तन
डिजिटल (ऑनलाइन) व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, ओएनडीसी, जेम पोर्टल प्रीमियम/विशेष मूल्य सजावटी उत्पाद, उपहार सामग्री, बुटीक-शैली सिलाई

मिश्रित मूल्य निर्धारण रणनीति (Hybrid Pricing Strategy)

इस रणनीति में कारीगर/शिल्पकार दो प्रकार के ग्राहकों के साथ कार्य करता है –

  1. नियमित ग्राहक (दैनिक आय देने वाले) – जो स्थानीय स्तर पर सेवा/उत्पाद खरीदते हैं।
  2. प्रीमियम ग्राहक (उच्च लाभ प्रदान करने वाले) – जो विशेष डिज़ाइन या कस्टम उत्पाद ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त करते हैं।

यह रणनीति कैसे लागू होती है?

  • दैनिक उपयोग की वस्तुएँ सामान्य मूल्य पर बेची जाती हैं।
  • विशेष/डिज़ाइनर श्रेणी के उत्पादों पर प्रीमियम मूल्य निर्धारित किया जाता है।

उदाहरण - 1 : (दर्ज़ी/टेलर)

उत्पाद ग्राहक वर्ग मूल्य
सामान्य पैंट/कमीज़ की मरम्मत/फिटिंग स्थानीय ग्राहक ₹120 (120 रुपये) तक
कस्टम/डिज़ाइनर सूट/ब्लाउज़ ऑनलाइन/प्रीमियम ग्राहक ₹1500–₹3500 (1500–3500 रुपये)

उदाहरण - 2 : (कुम्हार)

उत्पाद ग्राहक वर्ग मूल्य
घरेलू उपयोग का साधारण मटका स्थानीय ग्राहक ₹80–₹150 (80–150 रुपये)
सजावटी गमला/दीये (त्योहारों में) ऑनलाइन/प्रीमियम ग्राहक ₹250–₹900 (250–900 रुपये)

उदाहरण - 3 : (बढ़ई/कारपेंटर)

उत्पाद ग्राहक वर्ग मूल्य
सामान्य मरम्मत कार्य स्थानीय ग्राहक सेवा-आधारित मूल्य
दीवार सजावट/हस्तनिर्मित शिल्प ऑनलाइन/प्रीमियम ग्राहक सामान्य मूल्य से 3 गुना तक

इस प्रकार कारीगर के पास दैनिक आय भी बनी रहती है और अधिक लाभ देने वाले विशेष ऑर्डर भी प्राप्त होते हैं। रोज की कमाई + premium earning दोनों fix हो जाती है।

स्थायी ग्राहक (Repeat Customers) कैसे बनाएं

मिश्रित आय मॉडल में स्थायी ग्राहक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यही ग्राहकों से नियमित और भरोसेमंद आय प्राप्त होती है। निम्नलिखित उपाय अपनाकर ग्राहक को लंबे समय तक जोड़ा जा सकता है :

  1. गुणवत्ता एवं समय पर कार्य-प्रदान – कार्य की गुणवत्ता तथा समयबद्धता से ग्राहक का भरोसा बढ़ता है।
  2. व्यक्तिगत ध्यान/अनुकूलन – छोटे-छोटे बदलाव या कस्टमाइजेशन से ग्राहक को विशेष महत्व का अनुभव होता है।
  3. त्योहारों एवं विशेष अवसरों से पूर्व संपर्क – पहले से जानकारी देने पर मांग स्वतः बढ़ती है।
  4. बिल/परची पर संपर्क विवरण अंकित करना – पुन: संपर्क करने में सुविधा होती है।
  5. व्हाट्सऐप स्थिति (Status) पर कार्य के उदाहरण प्रदर्शित करना – ग्राहक को निरंतर अद्यतन जानकारी मिलती रहती है।

व्हाट्सऐप एवं इंस्टाग्राम के माध्यम से बिक्री (मूल प्रक्रिया)

ऑनलाइन माध्यम से ग्राहकों तक पहुँचना सरल तथा कम खर्चीला है। निम्नलिखित मूल बिंदुओं का पालन कर कारीगर आसानी से डिजिटल बिक्री प्रारम्भ कर सकता है :

  1. व्हाट्सऐप बिज़नेस ऐप स्थापित करें – इससे ग्राहक संबंधी जानकारी संग्रहीत करना आसान होता है।
  2. प्रोफ़ाइल में व्यवसाय का नाम एवं स्थान उल्लेखित करें – विश्वास बढ़ता है।
  3. अपने कार्य की 8–10 साफ़ तस्वीरें तैयार रखें – ग्राहक को उदाहरण (Samples) देखने को मिलते हैं।
  4. स्थानीय ग्राहकों को प्रसारण सूची (Broadcast List) में जोड़ें – सूचना एक साथ साझा की जा सकती है।
  5. प्रत्येक 3–4 दिन में स्थिति (Status) अद्यतन करें – निरंतर दृश्यता बनी रहती है।
  6. इंस्टाग्राम पर सरल प्रोफ़ाइल बनाकर उत्पाद/कार्य साझा करें – नए ग्राहक जुड़ते हैं।

स्थानीय से डिजिटल (ऑनलाइन) बाज़ार की ओर बढ़ावा

चरण क्या करना होता है परिणाम
प्रथम स्तर स्थानीय ऑर्डर एवं व्हाट्सऐप स्थिति साझा करना नियमित आय
द्वितीय स्तर इंस्टाग्राम पर उत्पाद/कार्य का प्रदर्शन प्रीमियम ग्राहक प्राप्त होना
तृतीय स्तर ओएनडीसी/जेम जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकरण थोक (Bulk) ऑर्डर प्राप्त होना

वास्तविक उदाहरण / केस स्टडी (दर्ज़ी/टेलर – मिश्रित आय मॉडल)

नीचे दिया गया उदाहरण दर्शाता है कि एक सामान्य दर्ज़ी प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ उठाकर कुछ ही महीनों में अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है।

स्थिति पहले बाद में
कार्य-सेटअप पुरानी मशीन, सीमित साधन आधुनिक टूलकिट एवं बेहतर उपकरण
दैनिक आय ₹250–₹400 (250–400 रुपये) ₹700–₹1200 (700–1200 रुपये)
उत्पाद/सेवा केवल सिलाई/मरम्मत डिजाइनर/कस्टम सिलाई एवं विशेष ऑर्डर
ग्राहक वर्ग केवल स्थानीय ग्राहक स्थानीय + डिजिटल (ऑनलाइन) ग्राहक
विश्वास स्तर सामान्य दर्ज़ी प्रमाणित "विश्वकर्मा कारीगर"

आय वृद्धि का वास्तविक विवरण

  • प्रशिक्षण अवधि के दौरान : ₹500 प्रति दिन (मानदेय) → 10 दिन = ₹5000 (5000 रुपये)
  • प्रशिक्षण उपरांत टूलकिट प्राप्त होने से कार्य की गुणवत्ता एवं फिनिशिंग बेहतर हुई
  • व्हाट्सऐप/इंस्टाग्राम के माध्यम से प्रीमियम/custom ऑर्डर प्राप्त होने लगे

तीन माह में आय वृद्धि (अनुमानित)

माह आय का स्रोत अनुमानित आय
प्रथम माह स्थानीय सिलाई/मरम्मत ₹18,000–₹22,000 (18,000–22,000 रुपये)
द्वितीय माह कस्टम/डिज़ाइनर कार्य सम्मिलित ₹25,000–₹32,000 (25,000–32,000 रुपये)
तृतीय माह डिजिटल माध्यमों से प्रीमियम ऑर्डर ₹35,000–₹45,000 (35,000–45,000 रुपये)

छह माह में परिणाम

  • नियमित आय + प्रीमियम ऑर्डर
  • अनुमानित मासिक आय : ₹35,000–₹50,000 (35,000–50,000 रुपये)

यह परिवर्तन बिना बड़ी दुकान खोले, केवल प्रशिक्षण, टूलकिट व डिजिटल पहुँच के माध्यम से सम्भव हुआ।


सामान्य प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना किन लोगों के लिए है? यह योजना उन परम्परागत कारीगरों एवं शिल्पकारों के लिए है जो अपने हस्त कौशल के आधार पर आजीविका अर्जित करते हैं, जैसे – दर्ज़ी, लोहार, बढ़ई, कुम्हार, सुनार, मोची, नाई, धोबी, राजमिस्त्री आदि।

प्रश्न 2. क्या बिना प्रशिक्षण के ऋण मिल सकता है? नहीं। इस योजना के अंतर्गत पहले प्रशिक्षण एवं प्रमाणन प्रक्रिया पूर्ण की जाती है। प्रशिक्षण के पश्चात ही टूलकिट अनुदान तथा उसके आगे ऋण की सुविधा उपलब्ध होती है।

प्रश्न 3. प्रशिक्षण के दौरान मिलने वाला मानदेय कितना है? प्रशिक्षण अवधि में लाभार्थी को ₹500 प्रति दिन (500 रुपये प्रति दिन) का मानदेय प्रदान किया जाता है, जो सीधे बैंक खाते में जमा किया जाता है।

प्रश्न 4. क्या टूलकिट निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है? हाँ, योजना के अंतर्गत अधिकतम ₹15,000 (15,000 रुपये) तक का टूलकिट अनुदान प्रदान किया जाता है, जिससे कार्य की गुणवत्ता में सुधार आता है।

प्रश्न 5. इस योजना में ऋण पर ब्याज दर कितनी होती है? यह ऋण सामान्य बैंक ऋण की तुलना में काफी सस्ता होता है और केवल 5 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। प्रथम चरण में 1 लाख रुपये तथा समय पर पुनर्भुगतान करने पर दूसरे चरण में 2 लाख रुपये तक का ऋण मिलता है।

प्रश्न 6. क्या ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगर भी आवेदन कर सकते हैं? हाँ, यह योजना ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए लागू है। सत्यापन स्थानीय पंचायत/नगर निकाय द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 7. आवेदन कहाँ किया जाता है? आवेदन आधिकारिक पोर्टल pmvishwakarma.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन किया जाता है। आधार ओटीपी प्रमाणीकरण द्वारा पंजीकरण पूर्ण होता है।

प्रश्न 8. क्या दुकान होना अनिवार्य है? नहीं। घर-आधारित (Home-based) व्यवसाय चलाने वाले कारीगर भी इसके पात्र हैं।

प्रश्न 9. क्या डिजिटल विपणन का प्रशिक्षण भी दिया जाता है? हाँ, प्रशिक्षण में यह भी सिखाया जाता है कि व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम तथा अन्य डिजिटल माध्यमों से अपने उत्पाद/सेवा को कैसे प्रचारित एवं विक्रय किया जाए।

प्रश्न 10. आवेदन के स्वीकृत होने में कितना समय लगता है? सामान्यतः 20 से 45 दिनों के भीतर सत्यापन एवं स्वीकृति की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है, जो राज्य/जिले के अनुसार भिन्न हो सकती है।


निष्कर्ष (Conclusion)

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना उन कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जो अपने कौशल को पहचान दिलाना चाहते हैं और अपनी आमदनी को स्थायी रूप से बढ़ाना चाहते हैं। यह केवल एक सरकारी सहायता योजना नहीं, बल्कि कौशल-आधारित आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त पहल है, जो पारम्परिक हुनर को आधुनिक बाज़ार से जोड़ती है।

इस योजना के माध्यम से प्रशिक्षण, टूलकिट अनुदान, रियायती ब्याज पर ऋण तथा डिजिटल विपणन सहायता प्राप्त कर कारीगर अपने कार्य की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं और स्थानीय तथा ऑनलाइन दोनों प्रकार के बाज़ार तक पहुँच बना सकते हैं।

यदि आप किसी पारम्परिक कला या कौशल से जुड़े हैं, तो यह योजना आपके लिए आय वृद्धि, आर्थिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का मजबूत माध्यम बन सकती है। आवश्यकता केवल पंजीकरण कर योजना से जुड़ने की है। सही मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के साथ, कोई भी कारीगर अपने कौशल को एक सफल लघु व्यवसाय में बदल सकता है।

अतः, यदि आप भी अपने हुनर को पहचान दिलाना चाहते हैं एवं सम्मानजनक आजीविका प्राप्त करना चाहते हैं, तो प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से अवश्य जुड़ें और अपने कौशल को कमाई के अवसर में परिवर्तित करें।

Post a Comment

0 Comments